Tuesday, November 15, 2011

Madhushala

धर्म ग्रन्थ सब जला चुकी है, जिसके अंतर ज्वाला, मंदिर, मस्जिद, गिरिजे, सब
को तोड़ चुका जो मतवाला, पंडित, मोमिन, पादरियों के फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसकी का स्वागत मेरी मधुशाला ||
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