हम ने जब उन्हें गद्दी दी थी तब भी वे ( अपने को ही सुनते सुनते) बहरे हो चुके थे: अपने ही दरबार की चोंध ने अब उन्हें अँधा भी कर दिया है. और हम अपनी करनी के नतीजो पर अचकचाये गूंगे हैं .- 'अज्ञेय'
हम ने जब उन्हें गद्दी दी थी तब भी वे ( अपने को ही सुनते सुनते) बहरे हो चुके थे: अपने ही दरबार की चोंध ने अब उन्हें अँधा भी कर दिया है. और हम अपनी करनी के नतीजो पर अचकचाये गूंगे हैं .