Wednesday, July 4, 2012

Mansoon

वर्षा ऋतु 
ऐ पुरवैया क्यो खोया तुमने आपन वेग |
.....................................................
ऐ सूर्य देव क्यो हुई तुम्हारे ताप मै कमी |
जो न उडा  पाइ महासागर कि नमी ||
ऐ पुरवैया क्यो खोया तुमने आपन वेग |
जो न खेनच के ला पायी बादलो को मेरे देश ||

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Saturday, June 30, 2012

That is perfect. This is perfect !!!

ॐ पूर्णमद : पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते |
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते  ||


ॐ शान्ति : शान्ति : शान्ति : ||


That is perfect. This is perfect. Perfect comes from perfect.
Take perfect from perfect, the remainder is perfect.
That is perfect. This is perfect !!!SocialTwist Tell-a-Friend

Friday, March 23, 2012

श्री सप्तश्लोकी दुर्गा

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥१॥

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारणाय सदार्द्रचित्ता॥२॥

सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते॥३॥

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोस्तुते॥४॥

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तुते॥५॥

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान्‌ सकलानभीष्टान्‌।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥६॥

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेस्वरी।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्‌॥७॥








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Tuesday, February 28, 2012

Qualities of Devotees (Men-of-Perfections)

In the following seven stanza of Chapter XII of Bhagvad Gita, Lord Krsna enumerates the characteristics features of a Man-of-Perfection, and thereby prescribes the correct mode-of-conduct and the way-of- life for all seekers.



अद्वेष्टा सर्वभूतानाम मैत्र: करुण एव च ।
निर्ममो निरहंकार: समदु:खसुख: क्षमी ।। १२:१३
संतुष्ट: सततं योगी यतात्मा दृढ़निशचय: ।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्त: स मे प्रिय: ।। १२:१४
यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च य: ।
हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो य: स च मे प्रिय: ।। १२:१५
अनपेक्ष: शुचिर्दक्ष उदासीनो गतव्यथ: ।
सर्वारम्भपरित्यागी यो मद्भक्तः स मे प्रिय:।। १२:१६
यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न कादंक्षति ।
शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्य: स मे प्रिय: ।। १२:१७
सम: शत्रौ च मित्रे च तथा माना पमानयो:।
शीतोष्णसुखदु:खेषु सम: संगविवर्जित: ।। १२:१८
तुल्यनिन्दास्तुतिर्मोनी संतुष्टो एन केनचित ।
अनिकेत: स्थिरमतिर्भक्तिमान्मे प्रियो नर: ।। १२:१९


Sl. No.:
संस्कृत
English Translation
1.
अद्वेष्टा  
Malice towards None.
2.
सर्वभूतानाम मैत्र:
Friendliness with everyone
3.
करुण
Compassionate
4.
निर्ममो निरहंकार:
Free from attachment [‘mine’-ness] and egoism [‘I’]
5.
समदु:खसुख:
Even minded in suffering and joys
6.
क्षमी
Forgiving
7.
संतुष्ट:
Contented
8.
सततं
Disciplined.

9.
यतात्मा
Self controlled.

10.
दृढ़निशचय:
Firm conviction.
11.
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो
Mind and intellect dedicated to ME.
12.
यस्मान्नोद्विजते लोको
The world does not flee from him
13.
लोकान्नोद्विजते
Nor does he flee from the world

14.
हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो
Free of delight, rage, fear, and disgust.
15.
अनपेक्ष:
Disinterested.
16.
शुचि:
Pure.
17.
दक्ष
Skilled.
18.
उदासीनो
Indifferent, unconcerned.
19.
गतव्यथ:
Untroubled.
20.
सर्वारम्भपरित्यागी
Relinquishing all involvements
21.
यो न हृष्यति न द्वेष्टि
He does not rejoice or hate.
22.
यो न शोचति न कादंक्षति
He does not grieve or feel desire.
23.
शुभाशुभपरित्यागी
Relinquishing fortune and misfortune.
24.
सम: शत्रौ च मित्रे
Impartial to foe and friend.
25.
सम: च मानापमानयो:
Impartial to honor and contempt.

26.
सम: च शीतोष्ण
Impartial to cold and heat.
27.
सम: च सुखदु:खेषु
Impartial to joy and suffering.
28.
संगविवर्जित: 
Free from attachment
29.
तुल्यनिन्दास्तुति:
Neutral to blame and praise.
30.
मोनी
Silent.

31.
संतुष्टो एन केनचित
Content with his fate.
32.
अनिकेत:
Unsheltered.
33.
स्थिरमति:
Firm in thoughts.

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Thursday, January 19, 2012

Divinity Equation


Divinity Equation: 

Selfless Service of Humanity    =       Service to God
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