मैं कोन हूँ? नदीयों में कल कल बहता पानी |
या फिर, बादलों को उड़ा ले जाने वाली वायु|
या फिर, रेगिस्तान की तपती वो रेत |
या फिर, चिड़ियों की चह चाहती ध्वनी |
या फिर, फूलों की वो मधुर महक |
या फिर,श्रृष्टि की एक सृजनी|
मैं कोन हूँ? मैं कोन हूँ? मैं कोन हूँ?