'आचारहीनं न पुनन्ति वेदा: |'
- आचारहीन व्यक्ति न पवित्र होते हैं और न पवित्र आचरण करते हैं |
'यन्नवे भाजने लग्न: संस्कारो नान्यथा भवते|
- बालावस्था में जो संस्कार प्राप्त होता है वह अमिट होता है |
Monday, November 1, 2010
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